जीवन भर हड्डियां बदलती रहती हैं

हमारे शरीर में हर दिन कुछ नई हड्डी बनती है और कुछ हड्डी टूट जाती है। बचपन और किशोरावस्था के दौरान शरीर में टूटी हुई हड्डी की तुलना में अधिक हड्डी बनती है जिससे हड्डियों के ढांचे का आकार, डेनसिटी और ताकत बढ़ती रहती है। ज्यादातर लोगों में 20वें साल में हड्डियों का द्रव्यमान (बोन मास) सबसे ज्यादा होता है। 35 से 40 साल की उम्र में यह बदलाव आता है जब शरीर में हड्डियों के टूटने की प्रक्रिया उसके बनने से ज्यादा हो जाती है। हड्डियों के बोन मास के घटने का मतलब उसका घनत्व कम हो जाना है जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। यह हड्डियों के धीरे-धीरे कमजोर होने का कारण है जो गंभीर होने पर ऑस्ट्रियोपोरोसिस का कारण बन सकता है। हालांकि लाइफस्टाइल में सही बदलाव करके हड्डियों के नुकसान और ऑस्टियोपोरोसिस के अपने जोखिम को कम करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।