समय के साथ-साथ बाबा रामदेव जी की प्रसिद्धि पूरे विश्वभर में हो गयी। वे हिंदु, जो मुगल काल में मुसलमानों में परिवर्तित किये गये थे वे फिर से हिन्दूओं में परिवर्तित होने लगे। इन स्थितियों को देखते हुए 5 पीरों के प्रतिनिधित्व कई मुस्लिमानों के साथ रूनीचा में बाबा रामदेव जी की परीक्षा लेने आए। जब मुल्तान के 5 पीर आए तो उन्होंने उनका स्वागत किया और एक महान आतिथ्य दिया। भोजन के समय पीर ने बाबा रामदेवजी से कहा कि वे केवल अपने स्वयं के बर्तन में खाना खाते हैं जो मुल्तान में छोड़ आये हैं। इस पर रामदेवजी ने अपना दाहीना हाथ बढ़ाया और उनके सभी बर्तन वहाँ आ गए।
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