यह मेला आदिवासियों का एक बड़ा मेला है। 'बनेश्वर' का अर्थ है 'डेल्टा का मास्टर' जो शिव लिंग से प्राप्त हुआ है। जिसकी पूजा डुंगरपुर के महादेव मंदिर में की जाती है। यह एक धार्मिक मेला है जिसमे सीधे-साधे और पारंपरिक रीति-रिवाज किये जाते है। भील के आदिवासी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और गुजरात से आते हैं और भगवान शिव की पूजा करते है। इस मेले में बड़ी मौज और मस्ती की जाती है लोकल सामान बेचा जाता है। मेले में लोक नृत्य, जादू का खेल, पशुओं का खेल, एरोबेटिक्स और मस्ती भरे गाने चारों ओर गुंजते है।
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